जगन्नाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
जगन्नाथ मंदिर भारत में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो पुरी, ओड़ीशा में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है जिन्हें यहां की मुख्य देवता माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर भारतीय साहित्य और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और यहां की विशेषता उसके मूर्तियों और ऐतिहासिक महत्व की वजह से है। इसे चार धामों में से एक माना जाता है और यहां के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त इस मंदिर का आग्रह करते हैं।
पुरी घूमने का सबसे अच्छा महीना
पुरी में घूमने का सबसे अच्छा महीना अक्टूबर से मार्च तक होता है। यह शीतकालीन मौसम का समय होता है जब मौसम सुहावना और सुखद रहता है। इस समय तापमान मध्य से ठंडा होता है और घूमने के लिए बहुत अच्छे संदर्भ मिलते हैं। पुरी में इस मौसम में भक्तों की संख्या भी अधिक होती है और ऐतिहासिक स्थलों का भी आनंद लिया जा सकता है।
पुरी इतना प्रसिद्ध क्यों है?
पुरी भारत के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक है। इसका प्रसिद्धी मुख्य रूप से जगन्नाथ मंदिर के कारण होता है, जो भारत में सबसे महत्वपूर्ण चार धामों में से एक है। इसके अलावा, पुरी में अन्य प्रमुख धार्मिक स्थल भी हैं जैसे कि गुणडिचा मंदिर, लोकनाथ मंदिर, चक्रतीर्थ गंगा सागर आदि। पुरी की सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिकता के कारण यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बना है और विभिन्न धर्मीय और सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र है।
मंदिर कहां स्थित है और किसने बनवाया है?
जगन्नाथ मंदिर पुरी, ओड़ीशा में स्थित है। यह मंदिर जगन्नाथ भगवान को समर्पित है और इसे राजा अनंगभिम देव द्वारा 12वीं शताब्दी में बनवाया गया था। मंदिर का स्थापना स्थल पहले से ही विष्णुपुरी के रूप में जाना जाता था, जो अत्यंत पवित्र माना जाता है।
निकटतम हवाई अड्डा
पुरी का निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और पुरी से विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए सेवाएं प्रदान करता है।
पुरी मंदिर की छाया क्यों नहीं है?
पुरी मंदिर की विशेषता यह है कि इसकी मूर्तियों की छाया कभी बनी नहीं रहती है। यह मान्यता है कि जब चांदनी रात में मंदिर के पास के क्षेत्र में छाया फैलती है, तो यह भक्तों के लिए अशुभ माना जाता है। इसलिए, मंदिर के आसपास वृक्षों या छतरीयों की कोई छाया नहीं होती है।
जगन्नाथ को नींद क्यों नहीं आती?
पुरानी कथाओं के अनुसार, जगन्नाथ भगवान को नींद नहीं आती है क्योंकि वे सत्ययुग के क्रोधरूपी विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं। उन्हें सदैव जागरूकता में रहना होता है और नींद की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए, उनके प्रतिमा में आदर्श रूप से नींद की अभिक्रान्ति दिखाई नहीं देती है।
पुरी मंदिर के अंदर क्या है?
पुरी मंदिर में कई प्रमुख भव्य स्थान हैं। इसमें मुख्य रूप से श्रीमंदिर, जगन्नाथ भगवान की प्रतिमा, बालाभद्र भगवान और सुभद्रा देवी की प्रतिमाएं, सिंहद्वार, भोगमंदप, नीलाद्री, अनंताराम देवालय, आनंद बाजार आदि शामिल हैं। भक्तों को इन स्थानों का दर्शन करने का अवसर मिलता है और वे यहां अपनी भक्ति और पूजा करते हैं।
मंदिर के ऊपर पक्षी क्यों नहीं उड़ते?
पुरी मंदिर के ऊपर पक्षियों का उड़ना मान्यताओं के अनुसार अशुभ माना जाता है। इसका कारण मान्यता है कि यहां जगन्नाथ भगवान की मूर्ति स्थित है और उनकी छाया में कोई पक्षी उड़ने का साहस नहीं करता है। यह एक अनूठी रूपरेखा है जो इस मंदिर को और अद्भुत बनाती है।
क्या हम भगवान जगन्नाथ को छू सकते हैं?
पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को छूने की अनुमति नहीं है। यह एक पवित्र स्थान है और भक्तों को इसका सम्मान और पूजा करना चाहिए। भक्तों को ध्यान देना चाहिए कि मंदिर में नियम और विनियम बनाए रखे गए हैं और उन्हें पालन करना चाहिए।
जगन्नाथ को बुखार क्यों होता है?
मान्यताओं के अनुसार, जगन्नाथ भगवान को साल में एक बार बुखार होता है। यह घटना रथ यात्रा के दौरान होती है और इसे नेत्रोत्सव के रूप में जाना जाता है। इस मान्यता के अनुसार, जगन्नाथ भगवान रथ में से अपनी भक्तों के दर्शन करते हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए उन्हें बुखार होता है। यह एक आध्यात्मिक मान्यता है जो जगन्नाथ रथ यात्रा के उत्सव को और प्रभावशाली बनाती है
भगवान जगन्नाथ 15 दिनों के लिए क्यों बंद होता है?
पुरी मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को साल में एक बार आराम की आवधि के लिए बंद किया जाता है, जिसे 'अनावसर्पिणी' कहा जाता है। इस अवधि के दौरान, मंदिर में भक्तों को दर्शन नहीं मिलते हैं। यह संयम का समय माना जाता है और भगवान को आराम का समय मिलता है। इस अवधि के बाद, जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन होता है और उसके बाद से मंदिर फिर से खुल जाता है।
क्या मोबाइल अनुमति है?
पुरी मंदिर में मोबाइल फोन का उपयोग निषिद्ध है। यह एक पवित्र स्थान है और भक्तों को मनोचित्त स्थिति में रहने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, सुरक्षा उद्देश्यों के लिए भी मोबाइल फोनों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
जगन्नाथ मंदिर के प्रमुख उत्सव और मेले
पुरी मंदिर में कई प्रमुख उत्सव और मेले मनाए जाते हैं। कुछ प्रमुख उत्सवों में रथ यात्रा, नेत्रोत्सव, स्नान यात्रा, नवकलाबेर यात्रा, देव दलना पाठ, जानियात्रा, आदि शामिल हैं। ये उत्सव और मेले भक्तों को आकर्षित करते हैं और मंदिर में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करते हैं।
मंदिर का इतिहास और महत्व
पुरी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी
में बनाया गया था और यह हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है। इस मंदिर
में भगवान जगन्नाथ, बालाभद्र भगवान और सुभद्रा देवी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह मंदिर
उत्कल राज्य की संस्कृति, परंपरा, और धार्मिकता का प्रतीक है।
रथ यात्रा: जगन्नाथ की गर्मी का उत्सव
रथ यात्रा पुरी मंदिर का सबसे प्रमुख उत्सव है। यह उत्सव ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस उत्सव में, भगवान जगन्नाथ, बालाभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियां विशेष रथ पर स्थापित की जाती हैं और वे मंदिर से लेकर गुंडीची पहाड़ी के साथ रथ में सवार होते हैं। यह उत्सव भगवान जगन्नाथ की गर्मी और प्रेम का प्रतीक है और हजारों भक्तों को आकर्षित करता है।
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